स्त्री का जीवन
अपने पापा की लाडली थी वो।जब वो छोटी थी तब उसके पापा कहते थे कि अगर हमें अपने पैर को काँटों से बचाना है तो हमें अपने पैरों में चप्पल पहनना होगी क्योंकि अपने पैरों को सुरक्षित रखने के लिये रास्तों पर कारपेट बिछाना सम्भव नही।
दूसरे शब्दों में,सारी दुनिया हमारी सुविधा और रूचि के अनुसार नही चल सकती,हमें ही दुनिया के साथ चलना होगा,समझौते करना होंगे।
शादी के समय माँ ने भी सिखाया कि परिवार में सबका दिल जीतना बेटा,किसी भी रिश्ते के लिए याद रखना पहले देना सीखना होगा,तब तुम्हे मिलेगा,चाहे प्यार हो ,भरोसा हो या सम्मान। त्याग भी करना होगा।
माँ पापा ने तो सही सीख दी।अपनी बेटी के अच्छे भविष्य के लिए ।और बेटी हमेशा उस सीख का पालन करती रही।और जब खुद माँ बनी तो अपने बच्चों को भी देना ही सिखाया,सबके लिए अपनी खुशियां का त्याग करते रहो।सबको खुश देखकर मन में संतोष रखा और उसी में अपनी ख़ुशी मानी।
घर में उसे मन सम्मान मिलता था।कोई कमी भी नही थी।पर अब उसके बच्चे बड़े हो रहे थे।आजकल जब भी वो किसी बात के लिए समझौता करती बच्चे बोलते," मम्मा आप ही हमेशा क्यों मानती हो,हमेशा आप ही क्यों समझती हो?क्यों आप अपने मन की नही करती?और तो और हमे भी यही सिखाती,क्यों हमेशा हम ही सब समझे?"
वो नजरे नीचे किये मुस्कुराकर कहती कि मैं क्या करूँ मैंने यही सीखा है।
मेरे माँ पापा की सीख को मानकर मैं
एक समझदार बहू कहलाती हूं।
पति के हर फैसले पर अपनी राय देती हूं ,
अगर वो नही मानते तो मैं ही मान जाती हूं।
कभी अपनी नही कही सदा ही सबकी मानी है।
यही मेरे वर्तमान की और भविष्य की कहानी है।
✍️प्रीति ताम्रकार, जबलपुर(मप्र)
Miss Lipsa
29-Sep-2021 06:03 PM
Bohot khoob
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Shalu
19-Sep-2021 02:59 PM
Sahi baat h,hr jagah pr lady ko hi ghukna padta h,ye zivan bilkul asan nhi h ek lady k liye,hmesha sangharsh kro or bs muskurate rho
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Shalini Sharma
17-Sep-2021 03:42 PM
Very nice
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